अपने जीवन में आपने कभी महसूस जर्रोर किया होगा कि जो काम आप मन लगाकर करते हैं उस काम को करने में आप थकते नहीं हैं बल्कि पूरे जोश के साथ उस काम को करते हैं | लेकिन जब भी कोई काम आप बिना मन के कर रहे होते हैं तो थोड़ी ही देर में उस काम से आप थक जाते हैं और आपके काम करने की इक्षा शक्ति ख़तम होने लगती है |
एक बार की बात है, एक बाप और उसका बेटा खच्चर पे सामान लेकर कही दूर जा रहे होते हैं | थोड़ी दूर जाने पर बाप सोचता है की उसका बेटा थक गया होगा | वो अपने बेटे से बोलता है की “तुम खच्चर पे बैठ जाओ और मैं पैदल चलता हूँ” | बेटा खच्चर पे बैठ जाता है | थोड़ी दूर जाने पर उधर से कुच्छ लोग गुजरते हैं और बेटे की तरफ देखते हुए कहते हैं कि “कैसा नालायक बेटा है खुद खच्चर पे बैठा है और बाप पैदल चल रहा है” | बेटा उनकी बात सुनता है और खुद खच्चर से उतरकर अपने बाप को खच्चर पे बैठने को कहता है | लड़के के कहने पर बाप खच्चर पे बैठ जाता है | थोड़ी दूर जाने पर कुच्छ और लोग मिलते हैं और बोलते हैं कि “कैसा पिता है खुद खच्चर पे बैठा है और बेटे को पैदल चला रहा है” | अब ये सुनने के बाद बाप अपने बेटे को भी खच्चर पे बिठा लेता है | अब दोनों उस खच्चर पे बैठ कर जाने लगते हैं | थोडा और आगे जाने पर कुछ लोग और मिलते हैं और कहते हैं कि “तुम इंसान हो की जानवर | दोनों इस बेजुबान जानवर (खच्चर) पर बैठे हो | इसकी जान लोगे क्या ?” अब ऐसा सुनकर बाप और बेटा तोनो उतर कर पैदल चलने लगते हैं | रास्ते में फिर से उन्हें एक आदमी मिलता है और कहता है “कैसे पागल लोग हैं सब, खच्चर होते हुए भी पैदल चल रहे हैं”| अब ये सुनके बाप बेटे का दिमाग ठनक जाता है | सोचते हैं कि “कैसे लोग है दुनिया में | हर चीज़ की अलग अलग राय देते हैं | किसी भी तरह से जीने नहीं देते” | अब बाप बोलता है कि “बेटा इस संसार में सुनना सबकी लेकिन करना वही जो तुम्हारा दिल और दिमाग कहता है”|
दोस्तों हमारे जीवन में भी बहुत से लोग होते है जो मुफ्त की सलाह देने की लिए हमेशा तैयार रहते हैं | लेकिन उनकी सलाह कितनी सही है और कितनी हमारे काम आएगी ये तो हमे ही जांचना होगा | जीवन में बहुत सी ऐसी समस्या आएगी जिसमे बहुत से लोगों की बातें सुनने को मिलेगी, ताने सुनने को मिलेंगे, सुझाव मिलेंगे लेकिन इन सब बातों को छोड़ कर हमे सिर्फ अपने अंतरात्मा की सुननी चाहिए | हमारा मन और मस्तिष्क क्या कहता है और क्या करना चाहता है हमें सिर्फ वही करना चाहिए तभी हमें संतुष्टि मिलेगी | अपने जीवन को अपने अनुसार जीना चाहिए न कि किसी दुसरे के अनुसार | जब भी आप कोई काम अपने मन से करेंगे तो उसकी सफलता और असफलता पर केवल आपका अधिकार होगा | अपने विवेक का उपयोग कर जो आपको सही लगता है वही करें |
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