
ये सच्ची कहानी है 9 – 11 के हमले की | जब अमेरिका में World Trade Centre पर आतंकी हमला हुआ तो उस समय लोगो को नए नए नाम सुनने को मिल रहे थे जैसे ओसामा बिन लादेन, World Trade Centre, अमेरिका इत्यादि | लेकिन केनिया के लोगों को इन सब के बारे में कुच्छ नहीं पता था | केनिया और तंजानिया के बॉर्डर पर एक गाँव था जहाँ मसई जनजाति के लोग रहते हैं उन्हें इस हमले के बारे में कुच्छ पता ही नहीं था | उनके गाँव के पास के कस्बे की एक लड़की थी जो की अमेरिका में Stanford University में पढ़ती थी | तब उस लड़की के माध्यम से वहां के लोगो को ये पता चला कि अमेरिका में एक बड़ी सी बिल्डिंग में एक आतंकवादियों ने एक प्लेन घुंसा दिया है और बहुत से लोगो की जाने भी गयी है | पहले तो उन लोगों को इस बात पे विश्वास ही नहीं हुआ कि इतनी ऊँची इमारतें भी होती है | ऐसा इसीलिए क्यूंकि वो छोटे से गाँव में रहने वाले लोग थे उन्होंने अपनी जिंदगी में सबसे ऊँची चीज जो देखी थी वो थी जिराफ जो की एक ऊँचा जानवर है |


लकिन जब उन्हें ये विश्वास हो गया की सच में ऐसा एक हमला अमेरिका में हुआ है और बहुत से लोगों की जानें भी गयी है तो उन्होंने सबसे पहले अमरीकी लोगों के दर्द को महसूस किया | और फिर वहां के लोगों ने उसी लड़की के हाथों केनिया की राजधानी नेरोबी में स्थित अमेरिकी दूतावास में एक चिट्ठी भिजवाई | अब जब वो चिट्ठी अमेरिकी दूतावास के deputy chief ने पढ़ी तो वो उस गाँव के लोगों से मिलने के लिए निकल पड़े | जैसे तैसे वो उस गाँव में पहुंचे तो उन्होंने देखा गाँव के लोग उनका स्वागत करने के लिए लाइन से खड़े थे और इतना ही नहीं साथ में 14 गायों को भी एक लाइन बना कर खड़ा कर रखा था | तभी वहां एक बुजुर्ग व्यक्ति आये और सभी 14 गायों की रस्सी अमरीकी दूतावास के deputy chief के हाथ में सौंप दी और एक तख्ती की तरफ इशारा किया | अमरीकी दूतावास के deputy chief ने जब उस तख्ती की तरफ देखा तो उसमे लिखा था हम मसाई जनजाती के लोग इस संकट की घडी में अमेरिका देश के साथ खड़े हैं और अमरीकी लोगों की मदद करने के लिए ये 14 गायों का दान करना चाहते हैं | गायों को वो लोग सब कुच्छ मानते हैं और गाय उनके लिए सबसे ज्यादा पूजनीय है | 14 गाय उस गाँव के लोग दान करना चाहते थे ये सुनकर deputy chief की आँखें नम हो गयी | अब ये कनूनंद संभव नहीं था कि 14 गायों को ले जाया सके और transportation की भी दिक्कत थी | इसकी जगह उन गायों को बेचा गया और उससे एक आभूषण खरीदा गया और उसे 9 – 11 की याद में अमेरिका में बनाये गए एक म्यूजियम में रखा गया |

ये बात जब अमेरिकी लोगों को पता चली कि इस तरह से एक छोटे से देश ने 14 गाय भेजकर अमेरिका की मदद करनी चाही और 14 गाय तो आ नहीं पायी लेकिन उन्हें बेच कर एक आभूषण ख़रीदा गया है | तो वहां के लोगों ने एक ऑनलाइन याचिका दर्ज की कि हमें तो वही गाय चाहिए | और अमरीकी लोगों ने केनिया के लोगों का दिल से धन्यवाद किया जिन्होंने 14 गाय भेजने का वादा किया और चाहते थे की जितनी मदद हो पाए उतनी मदद करें |
आज केनिया देश की उसी मसई जनजाति के लोगों ने इस महासंकट की घडी में भारत की मदद करने के लिए 12 टन अनाज भेजा है | ये संख्या भारत की जनसँख्या के सामने बहुत छोटी है लेकिन कहा जाता है दान देने वाले का दान नहीं बल्कि उसका दिल देखना चाहिए |

केनिया के लोगों बस एक ही बात सीखने को मिलती है कि मुस्कान बांटते चलिए जितना हो सके मदद करते चलिए | संकट की घडी में मुंह मत मोड़िये बल्कि एक दुसरे के साथ खड़े रहिये |